Tuesday, November 4, 2025

चुनावी रण में 'कट्टा' बनाम 'झूठ': मोदी के बयान पर महागठबंधन का तीखा पलटवार

(तसवीर सौः प्रभात खबर)

बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार अब अपने चरम पर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के महागठबंधन पर एक ऐसा विस्फोटक आरोप लगाया है, जिसने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। भोजपुर और नवादा में चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर कांग्रेस को 'कट्टा' (देशी पिस्तौल) दिखाकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिए मजबूर करने का संगीन आरोप लगाया। पीएम मोदी ने दावा किया कि यह फैसला बंद कमरे में हुई 'गुंडागर्दी' का नतीजा था, जिसे कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 'भ्रष्टाचार के युवराज' बताते हुए कहा, "कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि किसी राजद नेता का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित हो। मगर राजद ने कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर सीएम पद छीन लिया। ये लोग जंगलराज की पाठशाला से सीखकर आए हैं।" प्रधानमंत्री का यह बयान न केवल महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि चुनावी माहौल में राजनीतिक मर्यादा को लेकर भी तीखी बहस छेड़ गया है।

खड़गे का तीखा पलटवार: "क्या मोदी जी वहाँ मौजूद थे?"

प्रधानमंत्री के इस बयान पर सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। खड़गे ने प्रधानमंत्री के आरोपों को 'सरासर झूठ' और 'आधारहीन' करार देते हुए पलटवार किया।

खड़गे ने एक चुनावी रैली के दौरान सीधा सवाल दागते हुए पूछा, "क्या मोदी जी वहाँ (महागठबंधन की बैठक में) मौजूद थे? उन्हें क्या पता कि किस पार्टी ने किसे डराया?" उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के पास जनता के लिए कहने को कुछ नहीं बचा है, इसलिए वह चुनावी विमर्श को निचले स्तर पर ले जा रहे हैं।

खड़गे ने कहा, "किसी भी प्रधानमंत्री ने कभी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी या लाल बहादुर शास्त्री, किसी ने भी इस तरह की बात नहीं की। लेकिन इनकी (पीएम मोदी की) आदत ही ऐसी है।" खड़गे ने जोर देकर कहा कि महागठबंधन एकजुट है और पीएम मोदी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी हार दिखाई दे रही है।

तेजस्वी यादव ने विकास के मुद्दों पर घेरा

राजद नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने भी प्रधानमंत्री के आरोपों पर कड़ा रुख अपनाया। तेजस्वी ने इस बयान को 'अपमानजनक और वास्तविकता से परे' बताते हुए इसे राज्य के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति बताया।

तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "प्रधानमंत्री जी को बिहार की जनता से जुड़े मुद्दों पर बात करनी चाहिए। वे रोजगार, पलायन और महंगाई पर क्यों नहीं बोलते? वह गुजरात में फैक्ट्रियां लगाते हैं और बिहार में चुनाव जीतने की बात करते हैं। यह नहीं चलेगा।"

उन्होंने राज्य में कथित रूप से बढ़ते अपराधों का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि पीएम मोदी 'महा जंगलराज' की स्थिति को अनदेखा कर रहे हैं। तेजस्वी ने विश्वास जताया कि महागठबंधन 14 नवंबर को सरकार बनाएगा और 18 नवंबर को शपथ लेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह (पीएम मोदी) काल्पनिक कहानियाँ सुनाकर जनता को गुमराह नहीं कर सकते, क्योंकि बिहार की जनता अब काम चाहती है।

सत्ता-संघर्ष बनाम चुनावी विमर्श

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी—राजद और कांग्रेस के बीच ऐतिहासिक मतभेद और नेतृत्व के आंतरिक संघर्ष—को उजागर करने का एक सुनियोजित प्रयास है। 'कट्टा' जैसे शब्द का इस्तेमाल करके भाजपा ने जंगलराज के दौर की यादें ताजा करने की कोशिश की है, जिसका इस्तेमाल वह लंबे समय से राजद पर हमले के लिए करती रही है।

वहीं, महागठबंधन की तरफ से खड़गे और तेजस्वी का त्वरित और मुखर जवाब दर्शाता है कि वे इन आरोपों को हल्के में नहीं ले रहे हैं। खड़गे ने पीएम के बयान को राजनीतिक मर्यादा का प्रश्न बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश देने की कोशिश की है, जबकि तेजस्वी ने बात को तुरंत 'रोजगार' और 'विकास' के ट्रैक पर लाकर मतदाताओं को यह याद दिलाने का प्रयास किया है कि असली चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है। आने वाले दिनों में यह वाकयुद्ध और तेज होने की संभावना है, क्योंकि दोनों पक्ष चुनावी कथा को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

- Abhijit

04/11/2025

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