Monday, February 15, 2010

अब तो थोडा सुधर जाओ....

पुणेमें हुए धमाके से आज भी कोई भी पोलिटिकल पार्टी सबक नहीं सिख रही है॥ और अपनी राजनीतीकी दुकान चलाने केलिए केंद्र सरकार पर ये आरोप लगा रही है की सरकार की आईबी पूरी तरह से कोई भी सूचना देने में असफल रही है... हालांकि ये लोग ये जानकर भी अनजाने बन रहे है की इसमें आईबी का कोई दोष नहीं है॥ जो दोष है वो सिर्फ और सिर्फअपने देश की सभी पोलिटिकल पार्टिओं का ही है... क्योंकि पिछले कई सालों से हो रहे इस प्रकार के बम धमाके होने केबावजूद भी हम ये नहीं सीखे की ऐसे धमाको के बाद हम थोड़े सुधर जाए॥ मगर हमारे राजनेता जो इस बात को लेकर हीचलते है की "हम नहीं सुधरेंगे"... ऐसे आरोप प्रतिआरोप करने से देश का भला कभी होनेवाला नहीं है॥ बल्कि हम और भीखोखले और टूटते ही जायेंगे... क्योंकि अगर हम एकसाथ होकर ऐसे मामले में दुश्मनों का सामना करेंगे तो किसी पडोशीदेश की मजाल नहीं है की हमारे महान देश पर हमला कर सके... पहेले भी इसी ब्लॉग में मैंने कहा था की अगर ऐसे माहोलका डटकर सामना करना है तो एकजुट होना जरूरी है... जिस दिन साम को पुणे की जर्मन बेकारी पर आतंकी हमला हुआउस दिन रात में एक न्यूज़ चैनल पर महाराष्ट्र के भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मूंदे को सवाल पूछा गया की ये जोहमला हुआ है उसके लिए क्या करना चाहिए तो,,, जनाब इस मामले में कोई जिमेद्दारीपूर्वक का बयान देने के बजाय उन्होंनेराजनितिक जवाब देना शुरू कर दिया... और कहा॥ की हमने सरकार को पहेले भी बताया था की सुरक्षा में कई खामियांरह गई है॥ मगर जनाब आप भी तो महाराष्ट्र सरकार में एक समय शिवसेना के साथ बैठे थे... उस समय क्या किया था... जो भी हुआ इसकेलिए सिर्फ महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेद्दारी नहीं है... आप लोग भी उतने ही जिम्मेद्दार थे... अगर ऐसेमामलों में एकदूसरे की टांग खींचने के बजाये एक साथ होकर ऐसे लोगो का डटकर सामना करने में सरकार को मदद कीहोती तो ऐसी नोबत नहीं आती...

जब अल कायदा ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया और पूरा का पूरा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ख़तम हो गया॥ तबअमेरिका की किसी भी पोलिटिकल पार्टी ने उस समय के प्रेसिडेंट और उनकी पार्टी को जिम्मेद्दार नहीं बताया मगर सभीपोलिटिकल पार्टी ने ऐसे समय में सरकार को अपना हाथ और साथ दिया... और ९/११ के बाद ऐसी कोई घटना पुरेअमेरिका में नहीं हुई... हमारे नेता भी अगर ऐसा ही कुछ कर दिखाते तो आज देशभरमे जो हो रहा है वो कबका थम गयाहोता और ना ही कोई हमला देश पर होता न ही कोई आतंकी अपने मनसूबे में कामियाब हो पाते... मगर हमारे नेता औरहम लोग पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण करना जानते है और जो नहीं अपनाना चाहिए वो अपनाते है और जो सिखाने जैसीचीजें है वो नहीं सीखते और सिखाते... ऐसा ही अगर चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब की इंडियन मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन हमले करते ही रहेंगे और हम कभी भी उनको रोक नहीं पायेंगे... तो आइये सब मिलकरएकसाथ ये कदम उठाते है और कसम ये खाते है की चाहे कुछ भी हो जाए हम एकजुट होकर ऐसे नापाक इरादे रखनेवालोंका डटकर सामना करेंगे चाहे दुनिया इधर की उधर क्यों न हो जाए...

मगर ऐसी कसम खाने के लिए भी जिगर होना जरूरी है... और अपने देश के राजनेताओं के पास ऐसा जिगर ही नहीं॥ जोऐसी कसम खा सकते है॥ हाँ,,, वो खा सकते है तो सिर्फ और सिर्फ लोगो की कुर्सी... ये सब कुर्सी का खेल कब तकचलेगा... अगर ये कुर्सी का खेल हम नहीं छोड़ेंगे तो जरूर हमारे दुश्मन हमें बर्बाद कर देंगे... एकदुसरे की कुर्सी और टांगखींचने के बजाये आइये हम खींचते है दुश्मन की खाल... जो आये दिन हमारे देश को कुछ न कुछ करके तोड़ने की कोशिश कर रहे है... इस मौके पर ये भी जान लेना जरूरी है की पाकिस्तान के साथ २६/११ के मुंबई हमलों के बाद रुकी हुई शांतिवार्ता जो आनेवाली २५ फरवरी से शुरू होनी थी वो नहीं होनी चाहिए॥ क्योंकि पूरी दुनिया जानती है की पाकिस्तान के द्वाराही हिंदुस्तान में आतंकवाद फैलाया जा रहा है... तो फिर केंद्र सरकार को भी ये समजना चाहिए की जो देश (पाकिस्तान)अपने ही देश (पाकिस्तान) में हो रही आतंकी घटनाओं को रोकने में नाकाम रही है और उल्टा चोर कोतवाल को दांते उसतरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी ऐसा कहेते हो की भारत पाकिस्तान के सामने गिड़गिडाया है... तो ऐसे समय में उस देश को भी बता देना चाहिए की भारत क्या चीज है... और कम्पोजिट बातचीत नहीं होनी चाहिए... अगर पाकिस्तानचाहता है की बातचीत होनी चाहिए तो उसे इस तरह की आतंकी घटनाए रोकनी चाहिए और अपने देश (पाकिस्तान) में जहाँ पर भी आतंकवादी संगठन के ट्रेनिंग सेंटर है उसे बांध करने चाहिए और आतंकवादिओं को उकसाना भी बंध करना चाहिए... अगर पाकिस्तान ये सभी शर्ते मंजूर रखता है तो आनेवाले दिनों में जरूर कम्पोजिट बातचीत के बारे में सोचा जा सकता है... बल्कि अभी तो ये बातचीत किसीभी हाल में नहीं होनी चाहिए...

हमेशा से देखा गया है की, हमारे देश में हर हमला होने के बाद केंद्रीय गुप्तचर एजेंसियां गर्व से घोषणा करती हैं कि हमने तो राज्य सरकार को इसके बारे में पहले ही सूचना दे दी थी... पुणे के मामले में भी कुछ अलग नहीं हुआ... इंटेलीजेंस ब्यूरो ने जर्मन बेकरी में हुए धमाके के एक घंटे के अंदर ही दावा किया कि उन्होंने हमले की पूर्वसूचना दे दी थी... महाराष्ट्र के गृहमंत्री छगन भुजबल ने स्वीकार किया कि आईबी ने पूर्वसूचना तो दी थी लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि उस सूचना में कुछ भी स्पेसिफिक नहीं था... सूचना यह थी कि महाराष्ट्र के कुछ बड़े शहरों में आतंकवादी हमले की संभावना है.... कृपया हाई एलर्ट की घोषणा करें...

ऐसे ही अगर आपस में तालमेल की कमी रही तो हमारे देश में कभी भी हमले नहीं रुकेंगे... तो आइये हम कसम खाते है कीआपस में तालमेल और एकजुट होकर ऐसे लोगो का डटकर सामना करें....

Abhijit,
15-02-2010

Friday, February 12, 2010

जागो जनता जागो....


कुछ ऐसी पोलिटिकल पार्टी इस देश में है जो अपने महान देश को खोखला करना चाहते है... जैसे अंग्रेजो के ज़माने मेंभागला करो और राज करो की निति अपनाई थी वैसे ही आजकल की जैसी पार्टी निति अखत्यार कर चुकी है और जैसेमुंबई अपनी खुद की जागीर हो वैसा बर्ताव कर रही है... एक फिल्म एक्टर की एक टिपण्णी पर इस तरह से विरोध जतानाउचित नहीं है... देश के दुश्मन तो वो लोग है जो इस कदर कला और रमत में राजनीती करके अपनी गन्दी राजनीतीखेलना चाहते है... ऐसी पार्टिओं के खिलाफ जनता को ही अपनी आँखे खोलनी चाहिए और ऐसे लोगो को खदेड़नाचाहिए...

शिवसेना के सुप्रीमो बाल ठाकरे किस मुंह से ये बोलते है की "आमची मुंबई" जबकि वे खुद मध्य प्रदेश से रोज़ी कमाने केलिए मुंबई आये थे... मुंबई सिर्फ मराठीओं की है ऐसा बाजा बजाने से पहेले ये सोचना चाहिए की मुंबई का विकास अकेलइमराठीओं के कारण नहीं हुआ है... यहाँ देश के अलग अलग प्रान्त से आये लोगो के कारण ही ये आज देश की आर्थिकराजधानी के रूपमे जानी जाती है और सभी लोगो के कारण ही आज मुंबई पुरे विश्व में छाया हुआ है... अपने संविधान में भीकहा गया है की देश के किसी भी कोने में जाकर किसी को भी रहेनेका और व्यवसाय करने का अधिकार है... और इसअधिकार के मुताबिक सभी लोग कहीं पर बसते है.. और व्यवसाय करते है... इसमें किसी का हक़ छिना नहीं जाता... बल्कि "एक से भले दो, दो से भले तिन" उक्ति को सही ठहरता है.. कंधे से कन्धा मिलकर काम करने से ही सफलतामिलाती है,,, किसी एक के बस की बात नहीं जो अकेले इस देश को या प्रदेश को आगे ले जा सके... इसमें सभी लोगो कासाथ सहकार होना भी जरूरी है... एक पुराणी फिल्म का गाना इस समय याद रहा है.. फिल्म का नाम याद नहीं है,,, पर उसका मुखड़ा याद है वो कुछ ये बयां करता है,,, "साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगामिलकर बोज उठाना...." ये पंक्तियाँ काफी कुछ कह जाती है... इसको समजने की गुंजाईश इस वक्त है तो सिर्फ बालठाकरे आणि कंपनी को... जो ये सोचते है की उनके बलभुते (मराठीओं के बलभुते) पर ही मुंबई आगे बढ़ेगी और बढ़ सकतीहै.... ये सोच एकदम गलत और गन्दी है... ये सोच उन्हें बदलने की आवश्यकता है.... और अगर वो अपनी सोच बदलनहीं सकते तो कोई बात नहीं... जनता ही उन्हें पाठ सिखाएगी की किस तरह से लोगो से पेश आना चाहिए... शिवसेनाअपने आपको मुंबई का बादशाह मानती है मगर वो भूल गए की आज आज़ाद भारत में लोकशाही है.... और वो भी विश्व कीसबसे बड़ी लोकशाही माना जाता है... तो ऐसे लोकशाही देश में अगर उन्हें अपनी राजनीती का धंधा ऐसे ही चलाना है तोउनके जैसी सोचवाले लोगो की इस देशमे कोई ज़रुरत नहीं है.... उन्हें अगर इस देश में रहेना है तो शान्ति और अमनबनाये रखना चाहिए... ताकि आज पूरा देश जिस के सामने एकजुट होकर लड़ रहा है वो आतंकवाद का सफाया होसकेगा... शिवसेनावाले को ये समजना चाहिए की ऐसा करके वो लोग दुश्मनों को न्योता दे रहे है... पहेले भी ऐसा ही हुआथा जब... अंग्रेजो ने व्यापार के नाम पर आकर अपनी हुकूमत बना ली थी... उन्हें मालूम था की हिंदुस्तान में अगर राजकरना है तो "डिवाइड एंड रुल" की निति अपनाएंगे तो आराम से अपना धंधा चलता रहेगा... और उस समय भी अपने देशमें लोग आपस में एक दूसरे से दुश्मनी निकल रहे थे और इसका फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने राज शुरू किया... और २००साल तक हिंदुस्तान पर राज किया.... शिवसेना भी "डिवाइड एंड रुल" की निति अख्त्यार कर रही है... और वोहिन्दुइज़म के नाम पर लोगो को उकसा रहे है... और अपने दुश्मन ये ताक़ में बेठे है... की कब हिंदुस्तान के लोग अन्दरअन्दर लड़े और कब हम (दुश्मन) अपना राज शुरू करे... ऐसा हो इसलिए देश की सभी पोलिटिकल पार्टिओं को येसमजना चाहिए और एकजुट होकर ऐसी राजनीती कर रहे लोगो के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाने चाहिए... और अगरजनता भी जागे तो ऐसे लोगो को ऐसी राजनीती करने से रोक सकती है.. मगर जनता को जागना ज़रूरी है... अब समय गया है की ऐसे लोगो के खिलाफ बुलंद आवाज़ में एकदूसरे का विरोध करने के बजाये ऐसे पोलिटिकल नेताओं का हीविरोध करना चाहिए... क्योंकि मेरा देश महान......

Abhijit,
12-02-2010