
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का संगठनात्मक तंत्र
अपनी डिजिटल दक्षता और तेज रफ्तार के लिए जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
के नेतृत्व में 'डिजिटल इंडिया' के नारे को बुलंद करने वाली पार्टी के लिए, त्वरित और सटीक सूचना उनका सबसे बड़ा हथियार रही है। लेकिन, गुजरात भाजपा की आधिकारिक वेबसाइट पर पिछले 12 दिनों से एक ऐसी चूक दर्ज है जो संगठनात्मक समन्वय पर सवाल
खड़े करती है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल में
हुए व्यापक फेरबदल (17 अक्टूबर, 2025) के लगभग दो सप्ताह बाद भी, पार्टी की राज्य इकाई की आधिकारिक वेबसाइट https://bjpgujarat.org/council-of-ministers/ पर मंत्रियों की सूची पुरानी ही दिखाई दे रही है। यह महज एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि उस 'सुशासन' और डिजिटल मुस्तैदी की छवि पर सवाल है, जिसे भाजपा अपना मुख्य स्तंभ मानती है।

डिजिटल युग में 'मैनुअल' देरी का paradox
यह देरी इसलिए भी अधिक चौंकाने वाली है क्योंकि 17
अक्टूबर को हुए
पुनर्गठन में लगभग पूरी कैबिनेट को बदल दिया गया था। इस फेरबदल में उपमुख्यमंत्री
के रूप में हर्ष संघवी को पदोन्नत किया गया, जबकि कांग्रेस से भाजपा में
आए कद्दावर नेता अर्जुन मोढवाडिया और क्रिकेटर रवींद्र जडेजा
की पत्नी रीवाबा जडेजा जैसे कई नए और महत्वपूर्ण चेहरे शामिल किए गए
थे। वेबसाइट पर इन नए, बड़े नामों का अपडेट न होना न सिर्फ सूचना का अभाव दर्शाता
है, बल्कि पार्टी की डिजिटल विश्वसनीयता पर भी संदेह पैदा करता है।
आमतौर पर, जब केंद्र या राज्य में कोई
बड़ा राजनीतिक निर्णय लिया जाता है, तो भाजपा का आईटी सेल घंटों के भीतर सभी
आधिकारिक प्लेटफॉर्म (ट्विटर, फेसबुक, वेबसाइट, और ऐप) को अपडेट कर देता है। ऐसे में, एक ऐसी
महत्वपूर्ण और सार्वजनिक रूप से आवश्यक जानकारी को 10-12 दिनों तक अपडेट न करना,
संगठनात्मक
स्तर पर समन्वय (Coordination) की कमी का संकेत देता है।
देरी के संभावित कारण: तकनीकी या संगठनात्मक?
राजनीतिक विश्लेषक इस देरी को दो मुख्य पहलुओं
से देख रहे हैं:
1. संगठनात्मक जड़ता (Organizational
Inertia): यह संभव है कि पार्टी संगठन और सरकारी प्रशासनिक तंत्र (General
Administration Department - GAD) के बीच जानकारी साझा करने में विलंब हुआ हो। वेबसाइट पर
केवल मंत्रियों के नाम नहीं, बल्कि उनके नए विभागों और प्रोफाइल को भी अपडेट करना होता
है। यदि विभागों के आवंटन से संबंधित अंतिम सरकारी अधिसूचना (Gazette
Notification) आईटी टीम को देर से मिली हो, तो अपडेट में देरी हो सकती है।
2. बैक-एंड माइग्रेशन की
चुनौती: चूंकि यह पुनर्गठन बड़ा था (मंत्रियों की संख्या 17 से बढ़कर 26
हुई), इसलिए बैक-एंड
पर डेटाबेस में बड़े बदलाव की आवश्यकता हो सकती है। यह तकनीकी कार्य में लगी टीम की क्षमता या प्राथमिकता पर भी सवाल उठाता है। गुजरात भाजपा, जो 2027
के विधानसभा
चुनावों को ध्यान में रखकर हर छोटी चीज को साधने में जुटी है, के लिए यह एक
अनावश्यक डिजिटल त्रुटि है।
राजनीतिक निहितार्थ और विपक्षी मौका
एक राजनीतिक दल के लिए, उसकी आधिकारिक वेबसाइट
सिर्फ एक सूचना पट्ट नहीं होती, बल्कि कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के लिए विश्वसनीयता का
प्रतीक होती है। जब विपक्षी दल लगातार भाजपा पर केंद्रीय नेतृत्व पर अत्यधिक
निर्भरता का आरोप लगाते हैं, तब राज्य स्तर पर सूचना का इस तरह पुराना होना विपक्ष को
तंज कसने का मौका देता है।
गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि यह एक "छोटी लेकिन गैर-जिम्मेदाराना चूक" है। उन्होंने कहा, "जब हम 2027 की तैयारी में जुटे हैं और हर बूथ को डिजिटल बनाने की बात करते हैं, तब हमारी अपनी वेबसाइट पर महत्वपूर्ण सरकारी जानकारी का पुराना होना स्वीकार्य नहीं है। आईटी सेल को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए।"
संक्षेप में, गुजरात भाजपा की वेबसाइट पर
नई कैबिनेट की सूची का न होना मात्र एक तकनीकी त्रुटि नहीं है, बल्कि उस
डिजिटल गति और कुशलता के दावे पर लगा एक छोटा-सा ब्रेक है, जिस पर भाजपा हमेशा गर्व
करती आई है। पार्टी के लिए यह आवश्यक है कि वह न सिर्फ फ्रंट-एंड पर, बल्कि बैक-एंड
पर भी अपनी 'सुशासन' की छवि को बनाए रखे।
- Abhijit
29/10/2025
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