
कुछ ऐसी पोलिटिकल पार्टी इस देश में है जो अपने महान देश को खोखला करना चाहते है... जैसे अंग्रेजो के ज़माने मेंभागला करो और राज करो की निति अपनाई थी वैसे ही आजकल की जैसी पार्टी निति अखत्यार कर चुकी है और जैसेमुंबई अपनी खुद की जागीर हो वैसा बर्ताव कर रही है... एक फिल्म एक्टर की एक टिपण्णी पर इस तरह से विरोध जतानाउचित नहीं है... देश के दुश्मन तो वो लोग है जो इस कदर कला और रमत में राजनीती करके अपनी गन्दी राजनीतीखेलना चाहते है... ऐसी पार्टिओं के खिलाफ जनता को ही अपनी आँखे खोलनी चाहिए और ऐसे लोगो को खदेड़नाचाहिए...
शिवसेना के सुप्रीमो बाल ठाकरे किस मुंह से ये बोलते है की "आमची मुंबई" जबकि वे खुद मध्य प्रदेश से रोज़ी कमाने केलिए मुंबई आये थे... मुंबई सिर्फ मराठीओं की है ऐसा बाजा बजाने से पहेले ये सोचना चाहिए की मुंबई का विकास अकेलइमराठीओं के कारण नहीं हुआ है... यहाँ देश के अलग अलग प्रान्त से आये लोगो के कारण ही ये आज देश की आर्थिकराजधानी के रूपमे जानी जाती है और सभी लोगो के कारण ही आज मुंबई पुरे विश्व में छाया हुआ है... अपने संविधान में भीकहा गया है की देश के किसी भी कोने में जाकर किसी को भी रहेनेका और व्यवसाय करने का अधिकार है... और इसअधिकार के मुताबिक सभी लोग कहीं पर बसते है.. और व्यवसाय करते है... इसमें किसी का हक़ छिना नहीं जाता... बल्कि "एक से भले दो, दो से भले तिन" उक्ति को सही ठहरता है.. कंधे से कन्धा मिलकर काम करने से ही सफलतामिलाती है,,, किसी एक के बस की बात नहीं जो अकेले इस देश को या प्रदेश को आगे ले जा सके... इसमें सभी लोगो कासाथ सहकार होना भी जरूरी है... एक पुराणी फिल्म का गाना इस समय याद आ रहा है.. फिल्म का नाम याद नहीं है,,, पर उसका मुखड़ा याद है वो कुछ ये बयां करता है,,, "साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगामिलकर बोज उठाना...." ये पंक्तियाँ काफी कुछ कह जाती है... इसको समजने की गुंजाईश इस वक्त है तो सिर्फ बालठाकरे आणि कंपनी को... जो ये सोचते है की उनके बलभुते (मराठीओं के बलभुते) पर ही मुंबई आगे बढ़ेगी और बढ़ सकतीहै.... ये सोच एकदम गलत और गन्दी है... ये सोच उन्हें बदलने की आवश्यकता है.... और अगर वो अपनी सोच बदलनहीं सकते तो कोई बात नहीं... जनता ही उन्हें पाठ सिखाएगी की किस तरह से लोगो से पेश आना चाहिए... शिवसेनाअपने आपको मुंबई का बादशाह मानती है मगर वो भूल गए की आज आज़ाद भारत में लोकशाही है.... और वो भी विश्व कीसबसे बड़ी लोकशाही माना जाता है... तो ऐसे लोकशाही देश में अगर उन्हें अपनी राजनीती का धंधा ऐसे ही चलाना है तोउनके जैसी सोचवाले लोगो की इस देशमे कोई ज़रुरत नहीं है.... उन्हें अगर इस देश में रहेना है तो शान्ति और अमनबनाये रखना चाहिए... ताकि आज पूरा देश जिस के सामने एकजुट होकर लड़ रहा है वो आतंकवाद का सफाया होसकेगा... शिवसेनावाले को ये समजना चाहिए की ऐसा करके वो लोग दुश्मनों को न्योता दे रहे है... पहेले भी ऐसा ही हुआथा जब... अंग्रेजो ने व्यापार के नाम पर आकर अपनी हुकूमत बना ली थी... उन्हें मालूम था की हिंदुस्तान में अगर राजकरना है तो "डिवाइड एंड रुल" की निति अपनाएंगे तो आराम से अपना धंधा चलता रहेगा... और उस समय भी अपने देशमें लोग आपस में एक दूसरे से दुश्मनी निकल रहे थे और इसका फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने राज शुरू किया... और २००साल तक हिंदुस्तान पर राज किया.... शिवसेना भी "डिवाइड एंड रुल" की निति अख्त्यार कर रही है... और वोहिन्दुइज़म के नाम पर लोगो को उकसा रहे है... और अपने दुश्मन ये ताक़ में बेठे है... की कब हिंदुस्तान के लोग अन्दरअन्दर लड़े और कब हम (दुश्मन) अपना राज शुरू करे... ऐसा न हो इसलिए देश की सभी पोलिटिकल पार्टिओं को येसमजना चाहिए और एकजुट होकर ऐसी राजनीती कर रहे लोगो के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाने चाहिए... और अगरजनता भी जागे तो ऐसे लोगो को ऐसी राजनीती करने से रोक सकती है.. मगर जनता को जागना ज़रूरी है... अब समयआ गया है की ऐसे लोगो के खिलाफ बुलंद आवाज़ में एकदूसरे का विरोध करने के बजाये ऐसे पोलिटिकल नेताओं का हीविरोध करना चाहिए... क्योंकि मेरा देश महान......
Abhijit,
12-02-2010
शिवसेना के सुप्रीमो बाल ठाकरे किस मुंह से ये बोलते है की "आमची मुंबई" जबकि वे खुद मध्य प्रदेश से रोज़ी कमाने केलिए मुंबई आये थे... मुंबई सिर्फ मराठीओं की है ऐसा बाजा बजाने से पहेले ये सोचना चाहिए की मुंबई का विकास अकेलइमराठीओं के कारण नहीं हुआ है... यहाँ देश के अलग अलग प्रान्त से आये लोगो के कारण ही ये आज देश की आर्थिकराजधानी के रूपमे जानी जाती है और सभी लोगो के कारण ही आज मुंबई पुरे विश्व में छाया हुआ है... अपने संविधान में भीकहा गया है की देश के किसी भी कोने में जाकर किसी को भी रहेनेका और व्यवसाय करने का अधिकार है... और इसअधिकार के मुताबिक सभी लोग कहीं पर बसते है.. और व्यवसाय करते है... इसमें किसी का हक़ छिना नहीं जाता... बल्कि "एक से भले दो, दो से भले तिन" उक्ति को सही ठहरता है.. कंधे से कन्धा मिलकर काम करने से ही सफलतामिलाती है,,, किसी एक के बस की बात नहीं जो अकेले इस देश को या प्रदेश को आगे ले जा सके... इसमें सभी लोगो कासाथ सहकार होना भी जरूरी है... एक पुराणी फिल्म का गाना इस समय याद आ रहा है.. फिल्म का नाम याद नहीं है,,, पर उसका मुखड़ा याद है वो कुछ ये बयां करता है,,, "साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना, एक अकेला थक जाएगामिलकर बोज उठाना...." ये पंक्तियाँ काफी कुछ कह जाती है... इसको समजने की गुंजाईश इस वक्त है तो सिर्फ बालठाकरे आणि कंपनी को... जो ये सोचते है की उनके बलभुते (मराठीओं के बलभुते) पर ही मुंबई आगे बढ़ेगी और बढ़ सकतीहै.... ये सोच एकदम गलत और गन्दी है... ये सोच उन्हें बदलने की आवश्यकता है.... और अगर वो अपनी सोच बदलनहीं सकते तो कोई बात नहीं... जनता ही उन्हें पाठ सिखाएगी की किस तरह से लोगो से पेश आना चाहिए... शिवसेनाअपने आपको मुंबई का बादशाह मानती है मगर वो भूल गए की आज आज़ाद भारत में लोकशाही है.... और वो भी विश्व कीसबसे बड़ी लोकशाही माना जाता है... तो ऐसे लोकशाही देश में अगर उन्हें अपनी राजनीती का धंधा ऐसे ही चलाना है तोउनके जैसी सोचवाले लोगो की इस देशमे कोई ज़रुरत नहीं है.... उन्हें अगर इस देश में रहेना है तो शान्ति और अमनबनाये रखना चाहिए... ताकि आज पूरा देश जिस के सामने एकजुट होकर लड़ रहा है वो आतंकवाद का सफाया होसकेगा... शिवसेनावाले को ये समजना चाहिए की ऐसा करके वो लोग दुश्मनों को न्योता दे रहे है... पहेले भी ऐसा ही हुआथा जब... अंग्रेजो ने व्यापार के नाम पर आकर अपनी हुकूमत बना ली थी... उन्हें मालूम था की हिंदुस्तान में अगर राजकरना है तो "डिवाइड एंड रुल" की निति अपनाएंगे तो आराम से अपना धंधा चलता रहेगा... और उस समय भी अपने देशमें लोग आपस में एक दूसरे से दुश्मनी निकल रहे थे और इसका फायदा उठाते हुए अंग्रेजो ने राज शुरू किया... और २००साल तक हिंदुस्तान पर राज किया.... शिवसेना भी "डिवाइड एंड रुल" की निति अख्त्यार कर रही है... और वोहिन्दुइज़म के नाम पर लोगो को उकसा रहे है... और अपने दुश्मन ये ताक़ में बेठे है... की कब हिंदुस्तान के लोग अन्दरअन्दर लड़े और कब हम (दुश्मन) अपना राज शुरू करे... ऐसा न हो इसलिए देश की सभी पोलिटिकल पार्टिओं को येसमजना चाहिए और एकजुट होकर ऐसी राजनीती कर रहे लोगो के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाने चाहिए... और अगरजनता भी जागे तो ऐसे लोगो को ऐसी राजनीती करने से रोक सकती है.. मगर जनता को जागना ज़रूरी है... अब समयआ गया है की ऐसे लोगो के खिलाफ बुलंद आवाज़ में एकदूसरे का विरोध करने के बजाये ऐसे पोलिटिकल नेताओं का हीविरोध करना चाहिए... क्योंकि मेरा देश महान......
Abhijit,
12-02-2010
goo beginning. carry on.congrats
ReplyDeleteबिलकुल सही, लिखते रहिये, ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है |
ReplyDeleteBahut sahi kaha aapne...!
ReplyDeleteबालासाहेब की बात तो ठीक है लेकिन मुंबई की बात अगर देखि जाये तो मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बनाने मैं गुजरातियों का सबसे बड़ा हाथ है। फिर भी गुजराती यह नहीं कहते है की मुंबई को हमने बनाया और मुंबई सिर्फ गुजरातियों की ही है। तो फी बालासाहेब को यह कहना चाहिए की मुंबई मैं बहार से आये लोगों की वजह से ही आज मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है।
ReplyDeleteHar lafz sahi hai!
ReplyDeletevicharneey v acchee shuruaat .........
ReplyDeletepost acchee lagee .
Well said Abhijit. People certainly have affinity for the land they grew up on. However, for people leaders, it is probability of a stand and its impact on career is the only consideration.
ReplyDeleteThanks Santosh...
Delete